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पुखराज रत्न ( धनु / मीन राशि )

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विशेष राशि- (धनु / मीन)

पुखराज बृहस्पति ग्रह से जुड़ा है और यह ज्ञान, वैवाहिक सुख, और आर्थिक समृद्धि लाता है। यह गुरुजनों और धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • विवाह और संतान सुख में सहायक

  • धन, बुद्धि और सफलता प्रदान करता है

  • आध्यात्मिक उन्नति को प्रेरित करता है

उपयोग कैसे करें:
पुखराज को सोने की अंगूठी में बृहस्पतिवार के दिन, तर्जनी उंगली में पहनें।

पुखराज (Yellow Sapphire) रत्न धनु (Dhanu)/ मीन (Meen) –

समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक

पुखराज रत्न, जिसे अंग्रेज़ी में Yellow Sapphire कहा जाता है, एक अत्यंत शुभ और प्रभावशाली रत्न है जो बृहस्पति (Jupiter) ग्रह से जुड़ा होता है। भारतीय ज्योतिष में पुखराज को ज्ञान, वैवाहिक सुख, संतान प्राप्ति, आर्थिक उन्नति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रमुख स्रोत माना गया है। यह रत्न पीले रंग का होता है और अधिकतर श्रीलंका, थाईलैंड और कश्मीर से प्राप्त होता है। वैदिक ज्योतिष में इसे नवग्रह रत्नों में प्रमुख स्थान प्राप्त है और यह गुरु ग्रह की ऊर्जा को धारण करने का सबसे प्रभावशाली माध्यम माना जाता है।


पुखराज रत्न का ज्योतिषीय महत्व

बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, धन, शिक्षा, धार्मिकता, नैतिकता, गुरु या शिक्षक, विवाह और संतान का कारक माना गया है। यदि किसी की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में हो या उसकी दशा चल रही हो, तो पुखराज रत्न का धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह रत्न न केवल मानसिक और भावनात्मक संतुलन प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और सौभाग्य भी लाता है।


पुखराज रत्न के लाभ

1. वैवाहिक सुख में वृद्धि:
पुखराज विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है और योग्य जीवनसाथी प्राप्त करने में सहायता करता है। यह दांपत्य जीवन को मधुर और स्थिर बनाता है।

2. संतान प्राप्ति में सहायक:
यह रत्न संतान सुख से वंचित दंपतियों के लिए अत्यंत शुभ होता है। यह गर्भाधान में सहायक होता है और संतान के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

3. शिक्षा और बुद्धिमत्ता में वृद्धि:
पुखराज विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। यह एकाग्रता, स्मरण शक्ति और तार्किक सोच को बढ़ाता है।

4. आर्थिक स्थिति में सुधार:
पुखराज रत्न जीवन में धन, आय और समृद्धि लाने में सहायक होता है। यह व्यापारियों, निवेशकों और नौकरीपेशा लोगों को आर्थिक लाभ देता है।

5. मानसिक शांति और संतुलन:
इस रत्न का पहनना मन को शांत करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है।

6. आध्यात्मिक उन्नति:
जो लोग ध्यान, साधना या आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर हैं, उनके लिए पुखराज विशेष फलदायक होता है। यह आभा (Aura) को शुद्ध करता है और उच्च चक्रों को जाग्रत करता है।


पुखराज रत्न कौन पहन सकता है?

पुखराज रत्न धनु (Sagittarius) और मीन (Pisces) राशि के जातकों के लिए सबसे अधिक अनुकूल होता है, क्योंकि ये राशियाँ बृहस्पति ग्रह द्वारा शासित होती हैं। इसके अलावा यह रत्न मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि वालों को भी लाभ दे सकता है, लेकिन इसे पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।


कैसे करें पुखराज रत्न का चयन?

पुखराज का चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें:

  • शुद्धता (Purity): पुखराज शुद्ध और दोषरहित होना चाहिए। उसमें कोई दरार, धब्बा या सफेदी नहीं होनी चाहिए।
  • रंग (Color): प्राकृतिक पुखराज हल्के पीले से गहरे सुनहरे पीले रंग का होता है। गहरा और चमकदार पीला रंग श्रेष्ठ माना जाता है।
  • भार (Weight): रत्न का वजन आपकी शारीरिक भार और ज्योतिषीय गणना पर निर्भर करता है। सामान्यतः 5 से 7 रत्ती का पुखराज अधिक प्रभावकारी होता है।
  • प्राकृतिक (Natural): केवल प्राकृतिक और असंशोधित (untreated) पुखराज ही पहनना चाहिए। हीट ट्रीटेड रत्न ज्योतिषीय रूप से प्रभावी नहीं होते।

पुखराज पहनने की विधि

धारण करने का दिन: गुरुवार
धारण करने का समय: प्रातःकाल, सूर्योदय के समय
धातु: सोना (यदि संभव न हो तो पंचधातु या चांदी में भी धारण कर सकते हैं)
उंगली: तर्जनी (Index Finger)
मंत्र:

ॐ बृं बृहस्पतये नमः॥  
Om Brim Brihaspataye Namah॥

धारण विधि:

  1. गुरुवार के दिन सुबह स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. रत्न की अंगूठी को गंगाजल, कच्चा दूध और शुद्ध पानी से धो लें।
  3. रत्न को पीले कपड़े पर रखकर गुरु बृहस्पति के मंत्र का 108 बार जाप करें।
  4. मंत्र जाप के बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी में पहनें।

पुखराज रत्न के पहनने के बाद क्या महसूस होता है?

अधिकतर लोग पुखराज पहनने के 7 से 15 दिनों के भीतर इसके सकारात्मक प्रभाव अनुभव करने लगते हैं। जैसे:

  • मन शांत रहता है
  • पढ़ाई में ध्यान लगता है
  • धन की वृद्धि होती है
  • पारिवारिक और वैवाहिक जीवन में सुधार आता है
  • सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है

पुखराज की देखभाल कैसे करें?

  • पुखराज को समय-समय पर गंगाजल या हल्के साबुन से साफ करें।
  • किसी कठोर सतह से टकराने से बचाएं ताकि रत्न पर खरोंच न आए।
  • रत्न को अत्यधिक रसायनों, परफ्यूम या ब्लीच से दूर रखें।

किन्हें पुखराज नहीं पहनना चाहिए?

वृषभ, तुला और कुंभ राशि के लोगों को बिना ज्योतिषीय सलाह के पुखराज नहीं पहनना चाहिए क्योंकि उनके लिए यह रत्न हानिकारक हो सकता है। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति अशुभ स्थिति में है या नीच राशि में है, तो भी पहले किसी विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।


निष्कर्ष

पुखराज रत्न एक शक्तिशाली, शुभ और लाभकारी रत्न है जो जीवन के लगभग हर क्षेत्र – शिक्षा, विवाह, धन, संतान और अध्यात्म – में सकारात्मक बदलाव लाता है। लेकिन इसे धारण करने से पहले एक योग्य और अनुभवी ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य लें और केवल प्रमाणित, प्राकृतिक और शुद्ध पुखराज ही धारण करें। सही विधि और श्रद्धा से पुखराज पहनने पर यह रत्न आपके जीवन को समृद्धि, सौभाग्य और स्थायित्व से भर सकता है।

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